आसान नहीं होगी हरिद्वार में नए डीएम मयूर दीक्षित की राह, धर्मनगरी में होंगी कई चुनौतियां
देहरादून: उत्तराखंड में तीन जून का दिन कुछ अधिकारियों के लिए बेहद भारी रहा. हरिद्वार जमीन घोटाले में दो आईएएस और पीसीएस अधिकारियों समेत 12 कर्मचारियों पर गाज गिरी, जिसमें से एक अफसर हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह भी थे. कर्मेंद्र सिंह के सस्पेंड होने के बाद मयूर दीक्षित को हरिद्वार का नया जिलाधिकारी बनाया गया है. हरिद्वार में मयूर दीक्षित के सामने क्या चुनौती होगी, उसी पर विस्तार से बात करते हैं.
मयूर दीक्षित साल 2013 बैच के आईएएस अफसर हैं. फिलहाल मयूर दीक्षित टिहरी के जिलाधिकारी की जिम्मेदारी देख रहे थे, लेकिन तीन जून शाम को ही शासन ने मयूर दीक्षित के ट्रांसफर का आदेश जारी किया और उन्हें हरिद्वार का नया जिलाधिकारी नियुक्त किया. हरिद्वार के जिलाधिकारी पद पर तैनात आईएएस अधिकारी मयूर दीक्षित को हर मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा.
खनन होगी बड़ी चुनौती: हरिद्वार की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर तरीके से समझने वाले आदेश त्यागी कहते हैं, जिस तरह से हरिद्वार में छोटे और बड़े अधिकारियों पर गाज गिरी है, वो चर्चा का विषय बना हुआ है. उत्तराखंड में हरिद्वार एक ऐसा जिला है, जो हमेशा से ही किसी न किसी वजह से चर्चा में रहता है और उसमें सबसे बड़ी चर्चा खनन को लेकर होती है.
हरिद्वार में खनन के मामले में अलग-अलग लॉबी काम करती हैं. ऐसे में नए जिलाधिकारी के सामने खनन एक बड़ी चुनौती होगा. सभी लॉबी को शांत रखना और साथ लेकर चलना जिलाधिकारी के लिए यह बड़ी चुनौती होगी. हरिद्वार में अवैध खनन का मुद्दा न केवल विपक्ष, बल्कि सत्ता पक्ष के नेता भी उठाते रहे हैं.सांसद और सरकार के बीच तालमेल: इसके साथ ही बीते कुछ महीनों में जिस तरह से हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरिद्वार की प्रशासनिक और कानून व्यवस्था के साथ खनन जैसे तमाम बड़े मुद्दों पर खुलकर आवाज उठाई है, यह भी प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक चुनौती होगा. जिलाधिकारी को सांसद और सरकार दोनों को साथ लेकर चलने की चुनौती होगी. वैसे मयूर दीक्षित काफी अनुभवी अधिकारी हैं. उनका सर्विस रिकॉर्ड बताता है कि वो शांति से हर काम को शानदार तरीके से करने में माहिर हैं.
कुंभ है बड़ी चुनौती: नए जिलाधिकारी के सामने सबसे बड़ा टास्क साल 2027 में हरिद्वार में होने वाला महाकुंभ है. यह बात सभी जानते हैं कि कुंभ मेला जिस तरह से इस बार सरकार करना चाह रही है, उसमें साधु संतों की भूमिका भी इस बार अहम होगी. ऐसे में साधु संतों को साधना, उनसे तालमेल बैठाना और कुंभ मेला को सकुशल संपन्न कराना भी नए जिलाधिकारी के सामने एक बड़ी चुनौती है. हालांकि मेला अधिकारी के रूप में वरिष्ठ अधिकारी सोनिका सिंह को नियुक्त किया गया है, लेकिन जिलाधिकारी के लिए भी कुंभ जैसा आयोजन व्यवस्था के लिहाज से महत्वपूर्ण होता है.
आम जनता का विश्वास जीतना: हरिद्वार में लगातार जमीन और रिश्वतखोरी के चक्कर में कई छोटे-बड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम सार्वजनिक हो चुके हैं. लिहाजा प्रशासनिक व्यवस्था पर आम जनता और छोटे-बड़े कर्मचारियों का विश्वास जीतना भी मौजूद जिला अधिकारी के लिए एक बड़ी चुनौती होगा. जिस जिले में जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी जैसे बड़े अफसर भ्रष्टाचार के मामले में नाप दिए गए हों, वहां पर प्रशासनिक व्यवस्था पर आम जनता का विश्वास जीतना भी कोई आसान काम नहीं होगा.
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