श्री कृष्ण कृपा धाम मे सनातन विषयों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

कार्यक्रम का आरंभ कु. अपराजिता’उन्मुक्त’द्वारा प्रस्तुत स्वरचित मधुर “गीता वंदना”
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…”से हुआ, जिसने श्रोताओं को एक आध्यात्मिक अनुभूति से भर दिया।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता इं.अम्बरीष त्रिपाठी
(महा प्रबंधक,भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, कोटद्वार )। उप विषय : वर्तमान सामाजिक परिवेश में गीता की प्रासंगिकता। कर्म, विज्ञान और राष्ट्रनिर्माण
इन्होंने गीता को वैज्ञानिक, नैतिक एवं राष्ट्रधर्म की दृष्टि से विश्लेषित किया। आधुनिक प्रशासनिक और कॉर्पोरेट जीवन में गीता के सिद्धांतों की उपादेयता को अत्यंत सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।डॉ. मेनका त्रिपाठी।
उप विषय : ज्ञानयोग एवं गीता ।

डॉ. त्रिपाठी ने गीता को न केवल आध्यात्मिक, बल्कि सामाजिक और नैतिक मार्गदर्शन देने वाला ग्रंथ बताया। उन्होंने ज्ञानयोग को समसामयिक सामाजिक समस्याओं के समाधान का सशक्त माध्यम बताया।डॉ. प्रेरणा पाण्डेय
उप विषय: ध्यानयोग एवं गीता । आत्म-समर्पण उन्होंने गीता को आत्मा की आवाज़ बताया, जिसे केवल ध्यान की गहराई में सुना जा सकता है। ध्यानयोग को आत्मा के परमात्मा से मिलन की संकल्पना के रूप में प्रस्तुत किया।
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