बताते हैं कि एक बार हिमालय ने अपनी कन्या पार्वती का विवाह जब भगवान विष्णु के साथ तय कर दिया। लेकिन पार्वती तो शिव को पाना चाहती थी। यह बात पार्वती ने अपनी सहेली को बताई। इसके बाद वह सखी उन्हें हरण कर घनघोर जंगल में ले गई ताकि शिव पार्वती मिलन हो सके। जंगल में पार्वती ने निर्जला रहकर उपवास किया। हरत यानि हरण करना और आलिका का अर्थ है सहेली। यही परंपरा आज भी निभाई जा रही है।
तीज पर्व भारत और नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक है जिसे गोर्खाली समुदाय धूमधाम से मनाता है। यह पर्व सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देता है और सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करता है। हरतालिका तीज पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं
Hartalika Teej : भारत - नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक तीज पर्व, पीछे है ये पौराणिक कहानी
तीज पर्व भारत और नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक है जिसे गोर्खाली समुदाय धूमधाम से मनाता है। यह पर्व सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देता है और सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करता है। हरतालिका तीज पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से विवाह की बाधाएं दूर होती हैं और सुहागिन अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।
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