🚩🚩✡️✡ धर्म प्रेमी सज्जनों विगत वर्षों के भांति इस वर्ष श्रावण मास 11 जुलाई शुक्रवार से प्रारंभ 09 अगस्त शनिवार रक्षाबंधन महापर्व त्यौहार शास्त्रों के अनुसार इस माह में किए कोई भी पुण्य कार्य पूजा-पाठ जप रुद्राभिषेक हवन काल सर्प शांति ग्रह शांति महामृत्युंजय जाप 100 गुना अधिक फल मिलता है तीर्थ में किया वह शुभ कर्म हजार गुना फल प्राप्त होता है 5000 वर्ष पुराना स्वयंभू प्राचीन शिव मंदिर सिद्धेश्वर महादेव जगतगुरु आश्रम दक्षेश्वर कनखल हरिद्वार नित्य भगवान के दर्शन व रुद्राभिषेक 11 जुलाई शुक्रवार से 7 सितंबर रविवार पूर्णिमा तक निरंतर दर्शन कर सकते हैं समय प्रातः काल 6:30 8:00 तक रुद्राभिषेक करने के लाभ।🚩🚩✡️✡️। जलधारा शिव प्रिय ।।ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ नमस्ते रूद्र मन्यव उतोत इषवे नमः ।बाहुभ्यामुतते नमः ।।💐💐हर हर गंगे जय मां गंगे हर हर महादेव श्रावण मास दो महीने के महापर्व 💐💐 नाना विधि अनुष्ठान हेतु कामनाओं की पूर्ति हेतु अभीष्ट संकल्प सिद्धि द्वारा विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक किया जाता हैं ।।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।अथवा विभिन्न औषधियों सहित गिलोय के रस से अभिषेक करें।।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• शिवसहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
परंतु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में मंत्र, गोदुग्ध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है। इस प्रकार शालिपृष्ट ,मृडमय,गोमय, पार्थिव,तथा धातु- निर्मित,नर्मदेश्वर,पारदेश्वर,स्फटिक,आदिविविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है।
मेरू तंत्र आदि आर्ष ग्रन्थों के अनुसार -षड्ंग रूद्री,शतरूद्रिय,रूद्री एकादशिनी,लघुरूद्रात्मक , महारूद्र,अति रूद्र,आदि क्रम से पाठात्मक,अभिषेकात्मक, होमात्मक विधि से देवाधिदेव देव महादेव आशुतोष उमारमण ऊंकार स्वरूप पंचवक्त्र महारूद्र महामृत्युंजय भगवान सदा शिव भूत भावन सर्वशक्ति देहार्धधारी जगत्उत्पत्ति ,पालन,संहारकारक महादेव को प्रसन्न कर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं।।
इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है किंतु यदि पारद के शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है। रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है।
वेदों में उपनिषद,शिवपुराण,स्कंद पुराण,लिंग पुराण आदि ग्रंथों में प्राचीन ऋषियों विद्वानों ने इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है। पुराणों में तो इससे संबंधित अनेक कथाओं का विवरण प्राप्त होता है। वेदों और पुराणों में रुद्राभिषेक के बारे में कहा गया है और बताया गया है कि रावण ने अपने दसों सिरों को काटकर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया।
भस्मासुर ने शिवलिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओं से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया। कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।
ज्योतिर्लिंग क्षेत्र एवं तीर्थस्थान तथा शिवरात्रि प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वों में शिववास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है। वस्तुत: शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं। अत: हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं।
स्वयं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है कि जब हम अभिषेक करते हैं तो स्वयं महादेव साक्षात उस अभिषेक को ग्रहण करते हैं। संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नहीं है, जो हमें रुद्राभिषेक करने या करवाने से प्राप्त नहीं हो सकता ।। 💐💐💐💐💐🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🌷✡️✡️
नमः शिवाय रूद्राय नमः शक्ति धराय च,
सर्व विद्याधिपतये भूतानांपतये नमः ।।✡️✡️🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩✡️✡️ आचार्य गिरीश मिश्रा शास्त्री वैदिक व ज्योतिष हरिद्वार
संपर्क सूत्र ✡️✡️✡✡️✡️✡️✡️✡️
94 1299 0527
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